कैलासपर्वते राम मनसा निर्मितं परम् ।
ब्रह्मणा नरशार्दूल तेनेदं मानसं सरः ॥
ऋषि विश्वामित्र राम से कहते हैं ,
हे नरशार्दूल राम, कैलास पर्वत पर ब्रह्मदेव ने अपने मन से निर्मित किया हुआ एक विशाल सरोवर है । मननिर्मित होने के कारण इसे मानस सरोवर अथवा मानसरोवर कहते हैं ।
पुराणों में वर्णन आता है कि श्री विष्णु के पैरों से निकल कर गंगा सुमेरु पर्वत पर मानसरोवर में आती है और वहां से चार दिशाओं में चार धाराओं में विभक्त हो जाती है । सीतानदी गंधमादन पर्वत और भद्राश्व वर्ष से होते हुई पूर्व सागर में गिरती है । वंक्षु नदी (अथवा चक्षु नदी ) केतुमालवर्ष से होती हुई पश्चिमी सागर में गिरती है । भद्रा नदी उत्तर दिशा में उत्तर कुरु वर्ष से होती हुई उत्तरी सागर में गिरती है । और अलकनंदा नदी दक्षिण की ओर भारतवर्ष में होती हुई दक्षिणी सागर में गिरती है । मानसरोवर के पास ही शिव पार्वती का निवास कैलाश पर्वत अथवा शिवलोक है ।
जैन मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत ही अष्टपद पर्वत है जहाँ पर आदि तीर्थंकर श्री ऋषभदेव का परिनिर्वाण हुआ था । बौद्ध ग्रंथों में मानसरोवर को अनवतप्त कहा है और इसे पृथ्वी का स्वर्ग कहा गया है । महायान बौद्ध मानते हैं कि अमिताभ बुद्ध का निवास स्वर्ग में अर्थात 'सुखावटी' में है जहाँ से कई नदियाँ निकलती हैं ।
बाइबल में पैरेडाइज़ का जो वर्णन मिलता है वह इस स्थान से मेल खाता है । ईडन गार्डन में एक नदी बहती है जो वहां से चार भागों में विभक्त हो जाती है । ये हैं पीशुं , गीहुं , दजला और उफ्राता । ये चार नदियाँ चारों दिशाओं में जाती हैं । मिल्टन ने अपनी पुस्तक लॉस्ट पैरेडाइज़ में जो पैरेडाइज़ का वर्णन किया है उसमें पहाडियों के बीच झील और झील से निकलती हुई चार नदियाँ हैं ।
कुरान में भी जन्नत के बारे में कहा गया है कि वहाँ शुद्ध पानी का स्रोत है और कई नदियाँ निकलती हैं । इस्लामी मान्यता के अनुसार आदम अर्थात आदि मानव और प्रथम पैगम्बर भारत में ही अवतरित हुए थे और ईश्वर का पहला संदेश उन्हें यहीं मिला था ।
My Shelfari Bookshelf
Blog Archive
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment