Wednesday, December 26, 2007

गुजरात चुनाव की सीख

॥भारते भातु भारती ॥

गुजारात में नरेन्द्र मोदी नें सभी विरोधियों को एकसाथ पटखनी दी । इन विरोधियों में अपने आप को धर्म निरपेक्ष कहलाने वाले नेता जो मुसलमानों में रोष और उन्माद पैदा करके दंगे कराने को उत्सुक थे, सफल नहीं हो पाए । इन नेताओं का साथ दिया अंग्रेजी मीडिया नें । पर सभी प्रकार का अपप्रचार करने पर भी इनकी दाल नहीं गल पाई और नरेंद्रभाई के सामने उन्हें नतमस्तक होना पड़ा । इसके अतिरिक्त जेहादी और इसाई तत्वों ने भी सब प्रकार से विरोध करने का प्रयास किया । परन्तु सबको मात खानी पड़ी । आखिर नरेन्द्र मोदी में ऐसी क्या विशेषता थी जिसके कारण यह चमत्कार हो पाया ।

१. खतो नथी खावा देतो नथी : मैं न खाता हूँ न खाने देता हूँ । चुनाव के समय केवल एक बार मोदी ने यह कहा और यह वाक्य जनता में स्वीकृत हुआ क्योंकि जनता इस बात को पिछले पांच साल देख चुकी थी । इस वाक्य में छिपी है गुजरात की भ्रष्टाचार से मुक्ति की गाथा। कहा जाता है की भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की ओर फैलता है । जिसका अर्थ है भ्रष्टाचार का उपचार भी ऊपर से ही शुरू होता है। जब मुख्य मंत्री स्वयं भ्रष्ट नहीं होगा तो प्रशासन भी भ्रष्ट नहीं हो पायेगा। मोदी के प्रशासन की प्रशंसा आम आदमी ने भी की और व्यापारी तथा उद्योगपति ने भी की। मोदी की सफलता का यह प्रमुख कारण माना जा सकता है।

२. गुजरात की अस्मिता : मोदी कभी हिन्दू-मुस्लिम कि बात नहीं करते । न हीं जाति की राजनीती करते हैं । और न हीं कभी किसी जाति विशेष के लिए किसी छूट की बात करते हैं । मोदी केवल गुजरात और गुजराती अस्मिता की बात करते हैं । गुजरात और गुजराती में सब लोग आ जाते हैं । और इस प्रकार सबको एक सूत्र में बांध देतें हैं । पंथ और जाति की बात करने की आवश्यकता ही क्या है। यही सच्ची पंथ निरपेक्षता भी है ।

३. बिजली ,पानी और सड़क : गुजरात में २४ घंटे बिजली उपलब्ध है. कृषि के लिए पानी उपलब्ध है। बढिया सड़कें बन गयी हैं। विकास के लिए जिन मूलभूत साधनों की आवश्यकता है वह उपलब्ध हैं। प्रदेश का विकास आम आदमी के सामने है। जैसा पहले कभी नहीं हुआ। सब और समृद्धि दिखाई दे रही है। गुजरात का गौरव बढ़ रह है। लोग प्रसन्न हैं।

४ . जीतेगा गुजरात : मोदी ने गुजरात को जिताने का आह्वाहन किया। स्वयं को पीछे रखा और गुजरात को आगे। गुजराती अस्मिता को प्राथमिकता दी। गुजरात के स्वाभिमान को जगाया। और इस प्रकार गुजरातियों के मन मस्तिष्क पर छा गया।